कहीं आपकी आँखें भी तो नहीं हो रही है ग्लूकोमा का शिकार? जाने लक्षण, उपचार व बचाव के उपाय
Verified By डॉ. उर्वशी गोजा | 16-Jan-2024
आँखें हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, ये अमूल्य हैं , आँखों का सही तरह से ख्याल रखा जाना बेहद ज़रूरी है। बढ़ती उम्र के साथ साथ हमारी आँखों को कई तरह के रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है, ज़रा सी लापरवाही होना या छोटे-छोटे लक्षणों को नज़रअंदाज करना घातक हो सकता है। ग्लूकोमा एक ऐसी ही बिमारी है जिसका अगर समय रहते उपचार नहीं किया गया तो आपकी आँखों की रोशनी भी जा सकती है। ग्लूकोमा को ‘काला मोतिया’ के नाम से भी जाना जाता है।
आज के समय में विश्वभर में 2 करोड़ से अधिक लोग ग्लूकोमा से प्रभावित हैं। आइये ग्लूकोमा के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।:
क्या होता है ग्लूकोमा या काला मोतिया ?
ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद के नाम से भी जानते हैं। ग्लूकोमा के अधिकतर मामलों में शरुआती लक्षण नहीं दिखाई देने की वजह से आँखों की रौशनी चले जाने का खतरा बढ़ जाता है।
ग्लूकोमा में व्यक्ति की आंखों की ऑप्टिक नर्व पर दबाव बढ़ जाता है और इससे आँखों को काफी नुकसान पहुंचता है। ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव बढ़ता रहने से इस तंत्र के नष्ट होने का खतरा पैदा हो जाता है। लगातार बढ़ रहे इस दबाव को इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर कहते है।आंखों की ऑप्टिक नर्व सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, जिसका कार्य किसी भी चीज की पहचान को हमारे दिमाग तक पहुंचाने का होता है यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भोगों पर पड़ने वाले दबाव को समय रहते कम न किया गया इससे आंखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है।
कैलाश अस्पताल के नेत्र रोग विषेशज्ञ डॉ उर्वशी गोझा का मानना है "ग्लूकोमा को अक्सर हम "साइलेंट थीफ ऑफ़ विज़न" भी कहते है क्योंकि न ही इसके प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते और न ही किसी प्रकार का दर्द होता है I साथ ही इसके प्रसार को धीमा करने के लिए निरंतर निगरानी और लगातार फॉलो-अप की आवश्यकता होती हैI”
ग्लूकोमा काला मोतिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 40 वर्ष आयु के बाद इसके होने की संभावनाएं अधिक होती है। ग्लूकोमा पांच प्रकार का होता है इनमें - एंगल क्लोज़र ग्लुकोमा, ओपन एंगल ग्लुकोमा, सेकंडरी ग्लुकोमा, कोनजेनाइटल ग्लुकोमा और नार्मल टेंशन ग्लुकोमा शामिल हैं।
ग्लूकोमा के लक्षण क्या हैं?
ओपन एंगल ग्लुकोमा में शुरुआत में ख़ास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जब समस्या गंभीर हो जाती है तब - आंखों में ब्लाइंड स्पॉट बनने लगते हैं। काला मोतिया में ऑप्टिक नर्व को पहुंची क्षति के परिणामस्वरूप लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें मुख्य्र रूप से –
- आँखों का लाल हो जाना
- जी मिचलाना और उलटी होना
- आंखों में और सिर में तेज दर्द होना।
- रोशनी के चारों ओर रंगीन घेरे दिखाई देना।
ग्लूकोमा के कारण है?
काला मोतिया ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचने से होता है। जब आंखों से तरल पदार्थ निकलने की प्रक्रिया में बाधा आती है तो आंखों में दबाव (इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर) बढ़ता है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं जैसे –
- हाइपरथायरॉइडिज़्म, हृदय रोग, मधुमेह, सिकल सेल एनीमिया , माइग्रेन और उच्च रक्त चाप, आदि।
- बढ़ती उम्र होना।
- आंखों की कोई सर्जरी होना
- काला मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास होना।
ग्लूकोमा का इलाज -
जांच में देरी होने से काला मोतिया आंखों की रौशनी को बड़ा नुकसान कर चुका होता है, इसे पूर्ण रूप से ठीक सम्भव नहीं होता लेकिन इलाज के ज़रिये काला मोतिया को गंभीर होने से और आँखों की रौशनी कम होने से बचाया जा सकता है।ग्लूकोमा की जांच,ऑप्थेल्मोस्कोपीकई , पाकीमेट्री टेस्ट, टोनोमेट्री, और पेरीमेट्री जैसी अलग अलग तरह की प्रक्रियाओं से की जाती है जिसके उपरान्त नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह अनुसार ग्लूकोमा फिल्टरिंग सर्जरी और लेज़र ट्रैबेक्युलोप्लॉस्टी सर्जरी के माध्यम से इलाज़ किया जाता है।
ग्लूकोमा से बचाव के उपाय
- आंखों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि आंखों में लगी गंभीर चोट सेंकडरी या ट्रामैटिक ग्लूकोमा का कारण बन सकती है।
- रोजाना वर्कआउट करें ताकि इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर को नियंत्रित किया जा सके।
- नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहें; ताकि सही समय पर डायग्नोसिस के द्वारा उचित उपचार कराया जा सके
आंखों की नियमित रूप से जांच व पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन आखों को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी होता है। अगर आपके परिवार में ग्लूकोमा या आंखों से संबंधित कोई समस्या है तो कैलाश अस्पताल के विशेषज्ञों से इस बारे में विस्तार से चर्चा करें।